कहानी:
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम आरव था। आरव बहुत ही ईमानदार, परिश्रमी और समझदार बालक था। उसके माता-पिता किसान थे और उन्होंने उसे सदा सच्चाई और नैतिकता का पाठ पढ़ाया था।
आरव हर दिन स्कूल जाता और पढ़ाई के बाद अपने माता-पिता की खेत में मदद करता। वह कभी झूठ नहीं बोलता था और हमेशा दूसरों की मदद करता था। गाँव के सब लोग उसे पसंद करते थे।
एक दिन गाँव में एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई।

गाँव के मुखिया का कीमती सोने का हार चोरी हो गया। मुखिया बहुत परेशान हुआ और पूरे गाँव में घोषणा कर दी:
“जो भी मेरा हार ढूंढकर लाएगा, उसे इनाम में 5000 रुपये मिलेंगे!”
सभी लोग खोज में लग गए, लेकिन हार कहीं नहीं मिला। गाँव में शक और डर का माहौल बन गया।
कुछ दिन बाद…
आरव खेत में काम कर रहा था, तभी उसे खेत की मेड़ के पास कुछ चमकती चीज़ दिखाई दी। उसने पास जाकर देखा — वह वही सोने का हार था! किसी ने शायद भागते हुए वहाँ गिरा दिया था।
आरव हार को उठाकर सीधा मुखिया जी के पास गया और बोला,
“मुखिया जी, मुझे यह हार खेत की मेड़ पर मिला।”
मुखिया ने खुशी से कहा,
“बेटा आरव! तुमने तो मेरा दिल जीत लिया। तुम सचमुच बहुत नेक और ईमानदार हो। यह इनाम लो!”
लेकिन आरव ने नम्रता से जवाब दिया,
“मुखिया जी, मैंने यह काम इनाम के लिए नहीं, बल्कि सच्चाई और ईमानदारी के लिए किया है। मुझे सिर्फ आपकी दुआ चाहिए।”
मुखिया जी भावुक हो गए और बोले,
“तू हमारे गाँव का गर्व है बेटा! हम सब तुझसे बहुत कुछ सीख सकते हैं।”
उन्होंने गाँव की सभा में सबके सामने आरव को सम्मानित किया और उसका नाम “सच्चाई का सिपाही” रख दिया। अब हर कोई अपने बच्चों को आरव जैसा बनने की प्रेरणा देने लगा।
शिक्षा:
सच्चाई चाहे कितनी भी कठिन लगे, अंत में वही जीतती है।
(Truth always triumphs, no matter how difficult the path is.)
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