तारा और बोलने वाला पेड़ हिंदी कहानी (Tara and the Talking Tree)

कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक प्यारी सी लड़की रहती थी जिसका नाम तारा था। तारा बहुत दयालु और जिज्ञासु थी। उसे पेड़-पौधे, जानवर और पक्षियों से बेहद लगाव था।

हर दिन स्कूल से लौटने के बाद, तारा गाँव के पास वाले जंगल में जाती और वहाँ के पेड़ों के नीचे बैठकर किताबें पढ़ती थी। एक दिन, जब वह एक पुराने बरगद के पेड़ के नीचे बैठी थी, अचानक उसे एक धीमी आवाज सुनाई दी — “तारा…”

तारा चौंक गई, लेकिन डरने की बजाय उसने पूछा, “क… कौन है?”

पेड़ से फिर आवाज आई, “मैं हूँ, यह बरगद का पेड़। मैं सौ सालों से यहाँ हूँ और बहुत कुछ देख चुका हूँ।”

तारा को पहले तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन फिर वह पेड़ से बातें करने लगी। पेड़ ने उसे बताया कि कैसे वह सभी बच्चों को प्रकृति का महत्व सिखाता है, लेकिन अब कोई उससे बात नहीं करता।

तारा ने वादा किया कि वह पेड़ को कभी अकेला नहीं छोड़ेगी और हर दिन उसे कुछ नया सिखाएगी। बदले में, पेड़ तारा को जीवन के बड़े सबक सिखाता — धैर्य, करुणा, और ईमानदारी।

एक दिन गाँव में बहुत तेज़ आंधी आई। पेड़ की कई शाखाएँ टूट गईं। लोग पेड़ को काटने का निर्णय लेने लगे। तारा ने सबको रोकते हुए कहा, “यह पेड़ केवल पेड़ नहीं है, यह हमारा शिक्षक है, हमारा साथी है!”

तारा की बातें सुनकर सभी गाँव वाले चौंक गए। उन्होंने देखा कि तारा पेड़ के पास बैठकर उसकी टूटी शाखाओं की देखभाल कर रही थी। धीरे-धीरे सबने मिलकर पेड़ की सेवा की और उसे बचा लिया।

नैतिक शिक्षा (Moral):

प्रकृति केवल देखने की चीज़ नहीं, समझने और सम्मान देने की भी चीज़ है। सच्चा ज्ञान और दोस्ती हमें वहाँ मिलती है जहाँ हम सोच भी नहीं सकते।