एक बार की बात है, एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी और एक आलसी खरगोश रहते थे। लोमड़ी हमेशा अपने दिमाग से काम लेती थी, जबकि खरगोश हमेशा सोता और आलस करता रहता था।
एक दिन, लोमड़ी ने खरगोश से कहा, “चल, आज हम जंगल में जाकर शिकार करते हैं।”
खरगोश ने आलस करते हुए कहा, “मैं बहुत थका हुआ हूँ। मुझे नहीं जाना है। तुम जाओ।”
लेकिन लोमड़ी ने कहा, “नहीं, तुम भी चलो। मैं तुम्हें शिकार करना सिखाऊँगा।”
खरगोश को लोमड़ी के साथ जाने के लिए राजी करना पड़ा। वे जंगल में गए और एक पेड़ के नीचे बैठ गए।
लोमड़ी ने कहा, “तुम पेड़ के नीचे बैठे रहो और मैं जाकर जानवरों को इकट्ठा करता हूँ। जब तुम्हें देखो कि मैं इशारा करता हूँ, तो तुम खरगोश की तरह उछलकर खरगोशों को डराते हुए भागना। जानवर डरकर भाग जाएँगे और हम उनका शिकार कर सकेंगे।”
खरगोश ने कहा, “ठीक है, मैं ऐसा ही करूंगा।”
लोमड़ी जानवरों को इकट्ठा करने के लिए जंगल में घूमने लगी। जैसे ही वह वापस पेड़ के पास पहुँची, उसने देखा कि खरगोश सो रहा है।
लोमड़ी ने उसे उठाया और कहा, “खरगोश, जागो! जल्दी उठो! जानवरों को डराते हुए भागो!”
खरगोश आलस से उठ गया और बोला, “मैं नहीं जाऊँगा। मुझे बहुत नींद आ रही है। तुम ही जाओ।”
लोमड़ी को गुस्सा आ गया लेकिन वह जानता था कि उसे अकेले ही शिकार करना होगा। वह जानवरों के पास गई और उन्हें डराकर भागने लगी।
थोड़ी देर में जानवर भाग गए और लोमड़ी ने उनका शिकार किया। वह जंगल से लौटी और खरगोश से कहा, “देखो, मैंने तुम्हारे बिना ही शिकार कर लिया। अब तुम क्यों नहीं सीखते कि मेहनत से काम करना चाहिए।”
खरगोश शर्मिंदा हो गया और अगली बार से मेहनत से काम करने का वादा किया।
Moral of the story: Hard work always pays off. Laziness will only lead to failure.
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