गोलू और जादुई गुफा (Golu aur Jadui Gufa)

एक छोटे से गाँव में गोलू नाम का एक लड़का रहता था। गोलू बहुत ही जिज्ञासु था और उसे हमेशा नई चीजें सीखने का शौक था। हर रोज़ गाँव के बाहर जंगल में घूमता और पेड़-पौधों और वहाँ रहने वाले जीव-जंतुओं के बारे में सीखता।

एक दिन, गोलू जंगल में घूम रहा था, तभी उसे एक चमकीली तितली दिखाई दी। उसने उसे कभी नहीं देखा था। तितली के पंख लाल, नीले और हरे रंगों से चमक रहे थे। गोलू उसका पीछा करने लगा। तितली उसे एक गुफा तक ले गई। गुफा बहुत अंधेरी थी, लेकिन गोलू बहुत बहादुर था। उसने अपनी जेब से एक पत्थर निकाला और उससे आग जला दी।

गुफा के अंदर जाकर गोलू हैरान रह गया। चारों ओर चमचमाते पत्थर थे, जो गुफा को रोशन कर रहे थे। गुफा के बीच में एक छोटा तालाब था, जिसके अंदर मछलियां चमक रही थीं। तभी, पानी से एक दादी निकली। उसके सिर पर सफेद बाल थे और उसकी आँखें बहुत चमकदार थीं।

दादी ने गोलू को डरकर न देखने को कहा और उसका स्वागत किया। गोलू ने दादी को बताया कि वह उसे चमकती तितली के पीछे आया है। दादी ने बताया कि वह इस गुफा की रक्षक है और यह गुफा जादुई है। यहाँ रहने वाले जीव-जंतु चमकते हैं क्योंकि वे जंगल की देखभाल करते हैं।

गोलू ने दादी से पूछा कि वह जंगल की देखभाल कैसे कर सकता है। दादी ने कहा कि पेड़-पौधों को पानी देना, प्लास्टिक का कचरा नहीं फेंकना और जानवरों को परेशान न करना सबसे जरूरी है। गोलू ने वादा किया कि वह हमेशा जंगल का ख्याल रखेगा।

जब गोलू घर लौटा, तो उसने पूरे गाँव को जंगल की जादूई गुफा के बारे में बताया। उसने उन्हें यह भी बताया कि जंगल की देखभाल करना कितना जरूरी है। तब से, गोलू और पूरा गाँव मिलकर जंगल की देखभाल करने लगे। जंगल और भी चमचमाने लगा और वहाँ रहने वाले जीव-जंतु और भी खुश हो गए।

तो बच्चे, यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा प्रकृति का ख्याल रखना चाहिए। पेड़-पौधों को बचाना, उनका पानी देना और उनका कचरा साफ करना हमारा कर्तव्य है। तभी प्रकृति भी हमें सुंदरता और खुशी देगी।

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