एक समय की बात है, गाँव में एक छोटे से बच्चे का नाम अर्जुन था। अर्जुन बहुत ही आलसी और बड़े ही नादान बच्चा था। उसके माता-पिता बहुत ही समझदार और ईमानदार लोग थे जो अपने बच्चों को भी सही राह दिखाना चाहते थे।
एक दिन, अर्जुन के पिताजी ने उससे कहा, “बेटा, तुम्हें बहुत समय हो गया है कि तुम कुछ सीखो और कुछ बनो। आलसीपन से कुछ हासिल नहीं होता।”
अर्जुन ने कहा, “पर पिताजी, मैं तो खेतों में गेंहूँ काटने के लिए बना हूँ, मुझे क्यों कुछ सीखना है?”
पिताजी ने मुस्कराते हुए कहा, “बेटा, हमें हमेशा कुछ नया सीखना चाहिए। यह हमें और भी समृद्धि में मदद करता है।”
अर्जुन ने समझा कि उसे कुछ करना ही पड़ेगा। उसने अपने पिताजी से पूछा, “तो मैं क्या सीखूं?”
पिताजी ने उससे कहा, “तुम्हें कोई नया कौशल सीखना चाहिए, जिससे तुम अगर आजमा सको तो उससे अच्छा होगा।”
अर्जुन ने सोचा और तय किया कि वह रंग-बिरंगे फूलों की खेती करेगा। वह एक वृष्टि तंतु बनाने के लिए अपने पिताजी से मांगा और उसने फूलों की खेती करना शुरू किया।
समय के साथ, अर्जुन ने बहुत मेहनत और लगन के साथ अच्छे-अच्छे फूलों की खेती की। उसकी मेहनत ने उसे बहुत सारे पुरस्कार दिए और उसकी खेती बहुत ही सफल हो गई।
अर्जुन ने सीखा कि मेहनत, लगन, और नए कौशलों को सीखना बहुत महत्वपूर्ण है। उसने देखा कि आलसीपन से कुछ नहीं होता और सिर्फ नए चीजें सीखकर ही हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें कभी भी आलसी नहीं होना चाहिए और हमें हमेशा नए चीजें सीखने का प्रयास करना चाहिए। अपने कौशलों को बढ़ाने से हम अच्छे और सफल इंसान बन सकते हैं।
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