मिमी चुहिया और जादुई अनाज (Mimi the Mouse and the Magical Grain)

कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव के किनारे एक नन्ही चुहिया रहती थी। उसका नाम था मिमी। मिमी बहुत ही चंचल और जिज्ञासु थी। वह हमेशा नई-नई चीजें सीखने और खोजने में लगी रहती थी।

एक दिन मिमी खेतों में घूम रही थी तभी उसे एक चमकता हुआ सोने जैसा अनाज का दाना मिला। जैसे ही मिमी ने उस दाने को छुआ, वह चमकने लगा और एक नरम-सी आवाज आई:

“मैं हूँ जादुई अनाज। अगर तुम इस अनाज का सही उपयोग करोगी, तो तुम्हारी हर जरूरत पूरी होगी।”

मिमी बहुत खुश हुई लेकिन सोच में पड़ गई—क्या वह इसे अकेले खा ले या किसी ज़रूरतमंद की मदद करे?

उसी शाम मिमी ने देखा कि एक बूढ़ी गिलहरी ठंड और भूख से काँप रही थी। मिमी ने उसे जादुई दाना दे दिया।

गिलहरी ने दाना जैसे ही खाया, उसके सामने गरम खाना, एक सुंदर घर और गर्म कपड़े प्रकट हो गए।

गिलहरी ने मिमी को गले लगाया और कहा, “तुमने निस्वार्थ भाव से मेरी मदद की, ये सच्ची दया है।”

अगली सुबह मिमी के घर के बाहर एक चमकती पोटली रखी थी, जिसमें कई जादुई दाने थे और एक पंक्ति लिखी थी:

“जो दूसरों के लिए जीते हैं, जादू उन्हीं के पास आता है।”

अब मिमी रोज जादुई अनाज ज़रूरतमंदों को देती और उसका दिल खुशियों से भर जाता।

शिक्षा (Moral):
सच्ची खुशी दूसरों की मदद करने में है। निस्वार्थ सेवा का फल हमेशा बड़ा होता है।