शिव भक्त की सच्ची कहानी: अंधे बाबा और भोलेनाथ का चमत्कार (Shiv Bhakt Ki Kahani)

🔱 भोलेनाथ की कृपा से मिला दृष्टि – अंधे बाबा की अनोखी कहानी 🔱

कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में एक अंधे बाबा रहते थे, जिनका नाम था भक्त नंदू बाबा। जन्म से ही उनकी आंखों में रोशनी नहीं थी, परंतु मन में शिव भक्ति की ऐसी लौ जल रही थी कि पूरा गांव उन्हें भोलेनाथ का साक्षात भक्त मानता था।

नंदू बाबा दिनभर शिव नाम का जप करते, और शिवजी के मंदिर के बाहर बैठकर “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते रहते। उन्होंने कभी किसी से कुछ नहीं माँगा। जो भी मिल गया, उसी में संतोष कर लेते। लोग कहते थे कि नंदू बाबा के पास बैठने मात्र से मन को शांति मिलती है।

सच्ची आस्था की परीक्षा

एक बार सावन का महीना आया। पूरा गांव कांवड़ियों से भर गया। लोग दूर-दूर से गंगाजल लाकर भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे थे। नंदू बाबा के मन में भी तीव्र इच्छा जगी – “हे भोलेनाथ! मैं भी आपका अभिषेक करना चाहता हूँ। लेकिन न तो मुझे रास्ता दिखता है, न कोई साथ है। आप ही कोई राह निकालिए।”

उस रात बाबा ने संकल्प लिया – “कल भोर में मैं हरिद्वार के लिए निकलूंगा, चाहे रास्ते में कुछ भी हो जाए।”

गांव वालों ने मना किया – “बाबा, आप अंधे हैं, अकेले जंगल-पहाड़ कैसे पार करेंगे? रास्ता भी ठीक नहीं है।”

बाबा मुस्कुरा कर बोले – “जिसके साथ स्वयं शिव हों, उसे क्या डर?”

भोलेनाथ का चमत्कार

अगली सुबह बाबा अपनी लाठी लेकर चल दिए। गांव के बाहर निकलते ही एक अजनबी बालक उनके पास आया – नीले वस्त्र, गले में रुद्राक्ष की माला, माथे पर भस्म, और आवाज़ में अद्भुत शांति

बालक बोला – “बाबा, मैं हरिद्वार जा रहा हूँ। चलिए, मैं आपको ले चलता हूँ।”

बाबा खुशी से झूम उठे। बालक का हाथ पकड़कर वे तेज़ी से चलने लगे। रास्ते में न कोई कांटा चुभा, न कोई ठोकर लगी। तीन दिन में वे हरिद्वार पहुँच गए।

गंगा स्नान करके जब बाबा ने गंगाजल भरने के लिए मटकी आगे बढ़ाई, तो बालक बोला – “बाबा, अब आपकी आंखें खोलो, तुम्हें सब दिखेगा।”

बाबा ने जैसे ही आंखें खोलीं – दुनिया रोशन थी! पहली बार उन्होंने गंगा की पावन धारा, सूरज की रौशनी और बालक का दिव्य रूप देखा।

वो बालक कोई और नहीं, स्वयं महादेव थे!

गांव में लौटी चमत्कारी बात

बाबा फूट-फूट कर रोने लगे। हाथ जोड़कर कहा – “भोलेनाथ! आपने मेरी भक्ति को स्वीकार किया, मैं धन्य हो गया!”

भोलेनाथ बोले – “जो सच्चे मन से पुकारता है, मैं उसके पास स्वयं आता हूँ।”

उसके बाद बाबा ने गांव लौटकर वहां एक विशाल शिव मंदिर बनवाया और वहीं रहकर भक्तों की सेवा करने लगे। आज भी उत्तराखंड के उस गांव में “दृष्टि बाबा मंदिर” के नाम से एक मंदिर है, जहाँ लोग मानते हैं कि सच्ची श्रद्धा से मांगा गया वरदान, भोलेनाथ कभी खाली नहीं लौटाते।

कहानी से सीख:

  • श्रद्धा और विश्वास में असीम शक्ति होती है।
  • सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती।
  • भगवान को पाने के लिए आंखें नहीं, मन की रोशनी चाहिए।

🔱 हर हर महादेव! 🔱

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