शीर्षक: भोलेनाथ की कृपा
बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। उसके पास थोड़ी-सी जमीन थी, लेकिन वह भी बंजर थी। खेती से उसे इतना अनाज भी नहीं मिलता था कि अपने परिवार का पेट भर सके। लेकिन रामू में एक गुण था — उसकी अटूट शिवभक्ति।
हर सुबह वह अपने खेत के पास बने छोटे-से शिव मंदिर में जाता, साफ-सफाई करता, बेलपत्र चढ़ाता और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करता। उसके पास फूल, दूध या घी चढ़ाने के लिए कुछ नहीं होता, लेकिन वो शुद्ध मन और सच्चे भाव से भगवान शिव की पूजा करता।
गाँव के लोग उसका मज़ाक उड़ाते थे, कहते, “तेरे भगवान ने तुझे कुछ नहीं दिया। इतना पूजा करता है, फिर भी तू गरीब ही है।” लेकिन रामू मुस्कुरा कर कहता, “भोलेनाथ मुझे जो दें, वही मेरे लिए बहुत है।”
एक दिन की चमत्कारी घटना
एक दिन अकाल पड़ा, बारिश नहीं हुई। गाँव के सभी कुएँ सूख गए। लोग परेशान हो गए, खेत जल बिना सूखने लगे। रामू ने भी खेत की हालत देखी और उसी मंदिर में भोलेनाथ से प्रार्थना करने बैठ गया।
उसने आँखें बंद कर भोलेनाथ से कहा —
“हे शिवशंकर! तू ही त्रिलोकेश्वर है, पर मैं तुझसे कुछ नहीं चाहता। बस मुझे अपनी भक्ति बनाए रखने की शक्ति दे।”
उस रात रामू को स्वप्न में महादेव प्रकट हुए। बोले,
“रामू, तू सच्चा भक्त है। सुबह उठकर अपने खेत के बीच एक गड्ढा खोदना।”
रामू ने वैसा ही किया।
गड्ढा खोदते ही वहाँ से मीठे पानी का झरना फूट पड़ा। गाँववालों ने यह चमत्कार देखा तो आश्चर्य में पड़ गए। अब रामू का खेत हरा-भरा हो गया और सभी गाँव वाले उसी कुएँ से पानी लेने लगे।
गाँव की बदलती सोच
अब सबको रामू की भक्ति की शक्ति का अहसास हुआ। लोगों ने मज़ाक बनाना छोड़ दिया और मंदिर की सेवा में लग गए। गाँव में एकता बढ़ी और हर तरफ हरियाली फैल गई।
शिक्षा:
सच्चे मन से की गई भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती।
शिव जी केवल वस्तुएँ नहीं, भावना और समर्पण को स्वीकार करते हैं।
भक्त की श्रद्धा में इतनी शक्ति होती है कि भगवान को साकार होना पड़ता है।
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