एक समय की बात है, एक गांव में एक बूढ़ी औरत रहती थी। उसके पास एक बड़ा सा सफेद बिल्ला था। उस बिल्ले को बूढ़ी औरत बहुत प्यार करती थी। वह उसे अच्छे से खाना खिलाती थी और उसकी देखभाल करती थी।
बूढ़ी औरत का नाम राधा था। राधा की मृत्यु हो गई, लेकिन उसकी प्रेमिका बिल्ला उसके बिना रहना नहीं चाहता था। बिल्ला ने बहुत सोचा और फिर एक दिन बिल्ला गांव के पंडित जी के पास गया।
बिल्ला ने पंडित जी से पूछा, “मुझे राधा की आत्मा को शांति कैसे दी जा सकती है?”
पंडित जी ने उससे कहा, “तुम्हें एक साधु धुंधना होगा, जो तुम्हें उसकी आत्मा को शांति दिला सके।”
बिल्ला ने साधु को ढूंढा और उसके पास गया। बिल्ला ने साधु से अपनी समस्या बताई।
साधु ने कहा, “तुम्हें गांव में एक बूटी की चिंगारी लानी होगी, जो कभी बुझने वाली न हो। और फिर राधा के घर की छत पर जाओ और उसे जला दो।”
बिल्ला ने साधु की सलाह मानी और वह चिंगारी लेकर राधा के घर पहुंचा। बिल्ला ने चिंगारी से छत जला दी।
जैसे ही छत जली, बिल्ला की आँखों में आंसू आ गए। उसने समझा कि राधा की आत्मा को शांति मिल गई है। बिल्ला ने समझा कि उसका काम हो गया है।
बिल्ले ने छत जलाकर राधा की आत्मा को शांति दिलाई, लेकिन वह खुद भी दुखी था। उसने समझा कि अब वह अकेला हो गया है, क्योंकि राधा की मौत के बाद उसका कोई घर नहीं था।
फिर एक दिन गांव के बच्चे बिल्ले को परेशान देखकर उसे घर ले आए। वे उसे खाना खिलाते और उसकी देखभाल करते।
धीरे-धीरे बिल्ला ने नए घर में अपनी जगह बना ली। उसने बच्चों के साथ खेलना शुरू किया और उनसे प्यार और स्नेह महसूस करने लगा।
बिल्ला ने समझा कि जिंदगी में हर दर्द के बाद खुशियाँ भी होती हैं। वह अपने नए घर में खुश था, क्योंकि वह अब एक नया परिवार बना चुका था।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जब भी हम किसी को खो देते हैं, तो उनकी यादों को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए। नये दिनों में खुशियों को ढूंढना और नये संबंध बनाना भी जीवन का हिस्सा होता है।
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