मकर संक्रांति की पौराणिक व्रत कहानी कथा -गुणवती की कथा – Makar Sankranti Ki Katha

एक समय की बात है, एक नगर में गुणवती नाम की एक सुंदर और गुणवान कन्या रहती थी। वह अपने माता-पिता की एकलौती संतान थी। गुणवती के माता-पिता बहुत ही धनी और प्रतिष्ठित थे। गुणवती भी बहुत ही सुशील और धार्मिक थी। वह हमेशा अपने माता-पिता की सेवा करती थी और सभी के साथ प्रेम से रहती थी।

एक दिन, गुणवती के माता-पिता ने उसके लिए विवाह का प्रस्ताव भेजा। प्रस्ताव एक बहुत ही धनी और प्रतिष्ठित परिवार से आया था। गुणवती के माता-पिता उस प्रस्ताव से बहुत खुश हुए। उन्होंने जल्दी से गुणवती का विवाह उस युवक से कर दिया।

गुणवती का पति बहुत ही दयालु और गुणवान था। वह गुणवती को बहुत प्यार करता था। गुणवती भी अपने पति से बहुत प्यार करती थी। दोनों एक-दूसरे के साथ बहुत खुश रहते थे।

एक दिन, गुणवती के पति को व्यापार के सिलसिले में एक दूर के देश जाना पड़ा। गुणवती अपने पति से बहुत दुखी हुई। उसे अपने पति की बहुत याद आती थी। वह हर दिन अपने पति के लिए प्रार्थना करती थी।

एक दिन, गुणवती को मकर संक्रांति के दिन एक पौराणिक कथा सुनने का मौका मिला। उस कथा में बताया गया था कि मकर संक्रांति के दिन विधि-विधान से स्नान करने और भगवान सूर्य की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

गुणवती ने उस कथा को ध्यान से सुना और उसने मन में ठान लिया कि वह इस बार मकर संक्रांति के दिन विधि-विधान से स्नान करेगी और भगवान सूर्य की पूजा करेगी।

मकर संक्रांति के दिन, गुणवती ने सुबह जल्दी उठकर स्नान किया। उसने अपने बालों को खोल दिया और एक नए वस्त्र पहन लिए। फिर, वह भगवान सूर्य के मंदिर गई और उनकी पूजा की। उसने भगवान सूर्य से अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना की।

गुणवती की पूजा से प्रसन्न होकर, भगवान सूर्य ने उसे वरदान दिया। उन्होंने गुणवती से कहा कि तुम्हारे पति बहुत जल्द घर लौट आएंगे और तुम्हारे जीवन में सुख-समृद्धि आ जाएगी।

गुणवती को भगवान सूर्य का वरदान मिल गया। कुछ दिनों बाद, गुणवती के पति व्यापार से वापस आ गए। वह बहुत खुश हुए कि उनकी पत्नी उन्हें याद करती है और उनकी पूजा करती है।

गुणवती के पति और गुणवती दोनों बहुत ही खुश रहे और उनके जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रही।

कथा का शिक्षाप्रद निष्कर्ष

इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मकर संक्रांति के दिन विधि-विधान से स्नान करने और भगवान सूर्य की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा, हमें अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए और सभी के साथ प्रेम से रहना चाहिए।

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