खरगोश और कछुए की दौड़ – Hindi Moral Story For Kids

एक बार की बात है, एक हरित घास के मैदान में एक खरगोश और एक कछुए रहते थे। वे दोनों अच्छे दोस्त थे। रोज़ वे मैदान में घूमते और खेलते थे।

एक दिन, खरगोश ने कछुए से कहा, “हमारे बीच में एक दौड़ होनी चाहिए।”

कछुआ हंसते हुए बोला, “तुम तो तेज़ दौड़ सकते हो, मैं कैसे दौड़ूँगा?”

खरगोश मुस्कुराया और बोला, “कोई बात नहीं, हम तो सिर्फ़ मज़ाक़ कर रहे हैं।”

पर उनके मज़ाक को सभी ने गंभीरता से लिया। एक दिन दौड़ का आयोजन किया गया। सभी जानवर बहुत उत्सुक थे।

स्टार्ट होते ही, खरगोश तेज़ी से दौड़ने लगा। कछुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ा, पर धैर्य बरतते हुए। खरगोश अचानक थक गया और एक पेड़ के नीचे सो गया।

कछुआ ने देखा और कहा, “खरगोश भाग गया, मैं भी जीत गया!”

खरगोश जगा, उसने भी जल्दी में भागना शुरू किया, पर जब वह फिनिश लाइन पर पहुँचा, तो वह देखा कि कछुआ पहले ही पहुँच चुका था।

सभी ने कछुए को जीत की बधाई दी। खरगोश ने कहा, “कैसे जीत गए, तुम तो धीरे-धीरे चलते हो।”

कछुआ हंसते हुए बोला, “मित्र, जीतने के लिए तेज़ी नहीं, धैर्य और नियमितता चाहिए।”

खरगोश ने उस समय अपनी गलती समझी और गर्व से दूर होकर कछुए से माफी मांगी।

“मुझे खेद है, मेरी घमंडी आदतों ने मुझे हार जीत की सच्ची महत्ता समझाई।” खरगोश ने कहा।

कछुआ ने प्यार से उसे गले लगाया और कहा, “दोस्ती में हार-जीत नहीं, सहयोग और समझदारी होती है। हम साथ में हैं, हमें हर कठिनाई को मिलकर पार करना चाहिए।”

दोनों फिर से एक साथ मैदान में खेलने लगे, पर अब वे हर स्थिति में एक-दूसरे का साथ देते थे। उनकी दोस्ती और समझदारी ने उन्हें हमेशा साथ जीने की महत्ता सिखाई।

इस कहानी से बच्चे सीख सकते हैं कि जीत और हार सिर्फ खेल का हिस्सा होते हैं, जिन्हें सही तरीके से स्वीकारना जरूरी है। जीवन में सहयोग और समझदारी ही सच्ची जीत है।

इस कहानी से बच्चों को यह सिखने को मिलता है कि जीवन में महत्त्वपूर्ण है सही नियमितता और धैर्य।