कहानी:
बहुत समय पहले की बात है। एक हरे-भरे जंगल के किनारे एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर कबूतरों का एक झुंड रहता था। उनके नेता का नाम था राजू, जो बहुत ही बुद्धिमान और समझदार था।
कबूतर रोज सुबह उड़कर पास के खेतों में दाना चुगते और शाम होते ही अपने घोंसलों में लौट आते थे। उनका जीवन बहुत सुखमय चल रहा था।
लेकिन एक दिन…
एक शिकारी उस जंगल में आया। उसने कबूतरों को देखा और सोचा,
“अगर मैं इन सबको एक साथ पकड़ लूं, तो मुझे बहुत पैसे मिलेंगे।”
उसने अगली सुबह खेत में जाल बिछा दिया और उस पर बहुत सारा चावल डाल दिया।
सुबह कबूतरों ने नीचे बिखरे चावल देखे। सब खुशी से वहाँ उतर गए, लेकिन राजू ने उन्हें चेताया,
“रुको! ये जगह मुझे अजीब लग रही है। हो सकता है यहाँ खतरा हो।”
लेकिन बाकी कबूतरों ने उसकी बात नहीं मानी और दाना खाने लगे।
जैसे ही वे चावल खाने लगे, वे सब जाल में फँस गए। शिकारी झाड़ियों के पीछे से मुस्कराने लगा।
अब सब कबूतर रोने लगे और कहने लगे,
“हमें आपकी बात माननी चाहिए थी, राजू। अब क्या करें?”
राजू ने शांत होकर कहा,
“डरो मत! हमें एक साथ मिलकर इस जाल से निकलना होगा। जब मैं इशारा करूं, तब सब एक साथ उड़ने की कोशिश करो।”
शिकारी पास आ ही रहा था कि राजू ने ज़ोर से कहा,
“अब उड़ो!”
सभी कबूतरों ने मिलकर पूरे जाल को उठाया और उड़ गए। शिकारी हैरान रह गया।
कबूतरों ने पास के जंगल में जाकर अपने चूहे मित्र चिंकी को बुलाया। चिंकी ने अपने नुकीले दांतों से जाल को काट दिया और सभी कबूतर आज़ाद हो गए।
शिक्षा:
एकता में ही शक्ति है। जब हम मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है।
(Unity is strength. Together, we can overcome any problem.)
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