नन्हा दीपक और उसकी हिम्मत (Nanha Deepak Aur Uski Himmat – Little Deepak and His Courage)

कहानी:

एक छोटे से गाँव में दीपक नाम का एक बालक अपने माता-पिता के साथ रहता था। वह पढ़ाई में तेज़ था, लेकिन बहुत शर्मीला और डरपोक था। स्कूल में किसी से बात नहीं करता था और खेल-कूद से भी दूर रहता था।

एक दिन गाँव में मेला लगा। स्कूल से बच्चों को वहाँ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भेजा गया। प्रतियोगिता थी – मंच पर कहानी सुनाना। सभी बच्चे उत्साहित थे, लेकिन दीपक डर के मारे रोने लगा।

उसकी माँ ने प्यार से कहा, “अगर तू अपने डर से हार गया, तो कभी जीत नहीं पाएगा बेटा। बस एक बार खुद पर विश्वास कर के देख।”

दीपक ने माँ की बात दिल पर ले ली और मंच पर गया। पहले तो उसकी आवाज़ काँप रही थी, लेकिन फिर उसने धीरे-धीरे पूरे आत्मविश्वास से कहानी सुनाई।

सभी लोग ताली बजाने लगे। दीपक को प्रतियोगिता में पहला स्थान मिला। उस दिन वह समझ गया कि हिम्मत करना ही सबसे बड़ी जीत होती है।

शिक्षा:

हमें अपने डर से नहीं भागना चाहिए। आत्मविश्वास और हिम्मत से हर कठिनाई आसान हो जाती है।