1. बुद्धिमान लोमड़ी और भूखा शेर | Hindi Kahani For Kids
शिक्षा: धैर्य और चालाकी से पाशविक बल पर विजय पाई जा सकती है।
एक समय की बात है, जंगल में एक बुद्धिमान लोमड़ी रहती थी। एक दिन वह रास्ते पर चल रहा था तभी उसकी नज़र एक भूखे शेर पर पड़ी। शेर लोमड़ी को देखकर उस पर झपटने और उसे खाने ही वाला था। लेकिन लोमड़ी, बुद्धिमान होने के कारण, उसके पास एक योजना थी।
एक बुद्धिमान लोमड़ी और एक भूखे शेर की छवि
वह शांति से शेर के पास आया और बोला, “हे महान शेर, मैंने तुम्हारी शक्तिशाली दहाड़ के बारे में सुना है, जो सबसे बहादुर जानवरों को भी डरा सकती है। लेकिन मैंने यह भी सुना है कि तुम्हारा शिकार अक्सर तुमसे बच जाता है क्योंकि तुम बहुत अधीर हो।”
शेर, लोमड़ी की बातों से खुश होकर, अपनी ताकत साबित करने की कोशिश में और भी जोर से दहाड़ने लगा। लेकिन लोमड़ी ने आगे कहा, “मुझे यकीन है कि यदि तुम अधिक धैर्यवान हो, तो तुम अपने शिकार को पकड़ने में कभी असफल नहीं होगे।”
शेर ने लोमड़ी की बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर उसकी सलाह लेने का फैसला किया। उसने धैर्यपूर्वक किसी जानवर के आने की प्रतीक्षा की, और जब एक हिरण दिखाई दिया, तो उसने उस पर झपट्टा मारा और उसे तुरंत खा लिया।
लोमड़ी ने शेर को उसकी सफलता पर बधाई दी और कहा, “जैसा कि मैंने तुमसे कहा था, धैर्य ही कुंजी है। थोड़े से धैर्य के साथ, तुम कोई भी मनचाहा शिकार पकड़ सकते हो।”
हिरण को खा रहे शेर की छवि
शेर ने लोमड़ी की सलाह के लिए आभारी महसूस करते हुए पूछा, “मैं तुम्हारी मदद का बदला चुकाने के लिए क्या कर सकता हूँ?”
लोमड़ी ने उत्तर दिया, “मैं इस ज्ञान से संतुष्ट हूं कि मैंने तुम्हारी मदद की है। लेकिन यदि तुम मुझे धन्यवाद देना चाहते हो, तो कृपया फिर कभी मेरा पीछा मत करना।”
शेर सहमत हो गया और उस दिन से, लोमड़ी शेर के डर के बिना, जंगल में शांति से रहने में सक्षम हो गई।
2. ईमानदार लकड़हारा – Kids Moral Story in Hindi
शिक्षा: ईमानदारी का हमेशा पुरस्कार मिलता है।
एक बार की बात है, एक गरीब लकड़हारा अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। एक दिन जब वह जंगल में लकड़ी काट रहा था तो उसे एक चमकदार सुनहरी कुल्हाड़ी मिली। वह बहुत खुश हुआ और इसे किसी अमीर व्यापारी को बेचने की उम्मीद से घर ले गया।
एक लकड़हारे की छवि जो लकड़ी काट रहा है और एक सुनहरी कुल्हाड़ी ढूंढ रहा है
हालाँकि, अगले दिन, वह जंगल में लौट आया और उसे एक और लकड़हारा मिला, जिसने अपनी सुनहरी कुल्हाड़ी खो दी थी। लकड़हारे ने इसे तुरंत पहचान लिया और इसे असली मालिक को लौटाने का फैसला किया।
दूसरा लकड़हारा ईमानदार लकड़हारे का बहुत आभारी हुआ और उसे दो सोने की कुल्हाड़ियाँ और एक बोरी सोने के सिक्कों से पुरस्कृत किया। लकड़हारा अपनी नई संपत्ति से बहुत खुश होकर घर लौट आया।
एक लकड़हारे की छवि जो उसके मालिक को सोने की कुल्हाड़ी लौटा रही है
उनकी पत्नी और बच्चे उनके अच्छे भाग्य से आश्चर्यचकित थे, और वे सभी हमेशा खुशी से रहने लगे। ईमानदार लकड़हारे की कहानी पूरे गाँव में फैल गई और उसकी ईमानदारी की प्रशंसा की गई।
3. चींटी और टिड्डा – Short Moral Story in Hindi
शिक्षा: कड़ी मेहनत का फल मिलता है, जबकि आलस्य कठिनाई का कारण बनता है।
एक चींटी और एक टिड्डे की छवि**
एक बार गर्मियों में, एक मेहनती चींटी सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा करने में व्यस्त थी। वह अथक परिश्रम करता था, अनाज और मेवे इकट्ठा करता था, जबकि टिड्डा पूरे दिन गाता और बजाता था।
कड़ी मेहनत करती हुई एक चींटी और खेलता हुआ एक टिड्डा की छवि
टिड्डा चींटी की कड़ी मेहनत पर हँसा और बोला, “तुम इतनी मेहनत क्यों कर रहे हो? तुम इसे आराम से क्यों नहीं लेते और गर्मियों का आनंद क्यों नहीं लेते?”
चींटी ने उत्तर दिया, “मैं अभी यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हूं कि मेरे पास सर्दी से बचने के लिए पर्याप्त भोजन हो। अगर मैं अभी कड़ी मेहनत नहीं करूंगी, तो बाद में भूखी मर जाऊंगी।”
टिड्डे ने चींटी की सलाह को अनसुना कर दिया और खेलना और मौज-मस्ती करना जारी रखा। जब सर्दियाँ आईं तो टिड्डे के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा। वह चींटी के पास गया और खाना मांगने लगा, लेकिन चींटी ने खाने से इनकार कर दिया।
चींटी से भोजन मांगते एक टिड्डे की छवि
टिड्डे ने अपना सबक सीखा और महसूस किया कि जीवित रहने के लिए कड़ी मेहनत आवश्यक है। उसने चींटी से अपने आलस्य के लिए माफी मांगी और एक और मौका मांगा।
दयालु होने के कारण चींटी ने टिड्डे की मदद करने का फैसला किया। उन्होंने उसे कुछ खाना दिया और कड़ी मेहनत का मूल्य सिखाया। उस दिन से, टिड्डे ने कड़ी मेहनत की और फिर कभी गर्मियों को हल्के में नहीं लिया।
4. प्यासा कौआ – Hindi Moral Kids Story
नैतिक: दृढ़ता और संसाधनशीलता से चुनौतियों पर काबू पाया जा सकता है।
एक कौआ प्यासा था और पानी की तलाश में इधर-उधर उड़ रहा था। उसने घंटों खोजा, लेकिन सभी तालाब और झीलें सूखी थीं।
चारों ओर उड़ते हुए एक प्यासे कौवे की छवि
अंत में, कौवे को एक घड़ा मिला जिसके तल में थोड़ा सा पानी था। लेकिन पानी इतना कम था कि कौवा उस तक नहीं पहुंच सका।
कौवे ने घड़े को धकेलने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत भारी था। फिर, इसने एक चतुर विचार सोचा।
घड़े को धकेलते हुए कौवे की छवि
कौए ने कुछ कंकड़ उठाए और घड़े में डाल दिए। जैसे ही पानी का स्तर बढ़ा, कौआ पानी पीने में सक्षम हो गया।
घड़े से पानी पीते कौए की छवि
कौवा खुश था कि उसने चुनौती पर काबू पा लिया और अपनी प्यास बुझाने में सक्षम हो गया।
5. धीरे-धीरे करना हमेशा बेहतर होता है – Moral Stories in Hindi
नैतिक – इस कहानी से हम सीख सकते हैं कि धीरे-धीरे करना हमेशा बेहतर होता है। यदि आप जल्दबाजी करते हैं तो आप नुकसान में पड़ सकते हैं।
एक जंगल में एक बुद्धिमान बंदर रहता था। वह बहुत ही चालाक और समझदार था। एक दिन, एक अंधा सांप जंगल में घूम रहा था। सांप भूखा था और उसे कुछ भी खाने के लिए नहीं मिल रहा था। सांप को भूख से बहुत तड़प रहा था।
बंदर ने सांप को देखा और उससे पूछा, “हे सांप, क्या तुम भूखे हो?”
सांप ने कहा, “हां, मैं बहुत भूखा हूं। मुझे कुछ भी खाने के लिए नहीं मिल रहा है।”
बंदर ने कहा, “मैं तुम्हें एक तरबूज काट दूंगा। तुम उसमें से रस पी सकते हो।”
बंदर ने एक तरबूज काटा और सांप को दिया। सांप ने तरबूज के रस को पीना शुरू कर दिया। लेकिन सांप को बहुत तेज़ी से तरबूज का रस पीना पड़ा क्योंकि वह जल्दी से कुछ भी खाने के लिए चाहता था। जब सांप ने तरबूज का रस पूरा पी लिया तो उसने बंदर से कहा, “मैं बहुत प्यासा था। यह तरबूज बहुत स्वादिष्ट था।”
बंदर ने कहा, “ठीक है। तुमने तरबूज का रस पी लिया। अब तुम जा सकते हो।”
सांप जंगल में घूमने के लिए चला गया। लेकिन अचानक, वह एक पेड़ पर चढ़ गया और उसमें से गिर गया। वह बहुत दर्द से कराहने लगा। बंदर ने सांप को गिरते हुए देखा और उससे पूछा, “क्या हुआ?”
सांप ने कहा, “मैं बहुत दर्द में हूँ। मैं पेड़ से गिर गया और अब मैं चल नहीं सकता हूँ।”
बंदर ने कहा, “तुमने अच्छा नहीं किया। तुमने तरबूज का रस बहुत तेज़ी से पी लिया। इस वजह से तुम गिर गए और अब तुम दर्द में हो।”
सांप ने कहा, “तुम सही कह रहे हो। अगली बार मैं थोड़ी धीमी गति से तरबूज का रस पीऊंगा ताकि मैं गिर न जाऊं।”
बंदर ने कहा, “ठीक है। तुम अपने इस सबक से सीखो और आगे से ऐसा मत करना।”
सांप ने बंदर से धन्यवाद किया और फिर जंगल में घूमने के लिए चला गया।
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