भगवान विष्णु के वराह अवतार की कहानी कथा | Vishnu Bhagwan Ki Katha

वराह अवतार, भगवान विष्णु के दस अवतारों (दशावतार) में से एक है और यह अवतार पृथ्वी को बचाने के लिए हुआ था। इस कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब दैत्य हिरण्याक्ष नामक असुर पृथ्वी को अपने वश में करके स्वर्ग से उत्कृष्टतम लोक को भी अपहरण कर लेते हैं।

पृथ्वी को बचाने के लिए, भगवान विष्णु ने वराह रूप में अवतार धारण किया। वराह रूप में भगवान विष्णु ने बहुत ही विशाल वराह (सुअर) के रूप में पृथ्वी को सागर से उठा लिया।

हिरण्याक्ष ने वराह को देखते ही उससे युद्ध करने का निर्णय किया, और बहुत ही भयंकर युद्ध हुआ। अंत में, भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष को मार गिराया और पृथ्वी को उनके अत्याचार से मुक्त कर दिया। इस प्रकार, वराह अवतार ने धरती को सुरक्षित किया और अधर्म को पराजित किया। इस कथा से सिखने को मिलता है कि भगवान कभी भी अधर्म के प्रति समर्पित रहते हैं और वे अपने भक्तों की सुरक्षा के लिए हमेशा सक्रिय रूप से उत्तरदाता हैं।

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वराह अवतार: पृथ्वी की रक्षा

बहुत समय पहले, आकाशमंडल में शांति और धरती पर असुरों का आतंक बढ़ रहा था। असुरों का एक शक्तिशाली राजा था, हिरण्याक्ष नामक। उसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके धरती को कब्जा कर लिया था और स्वर्गीय देवताओं को भी अपने अधीन कर लिया था।

इस अत्याचार के खिलाफ भगवान विष्णु ने एक नया रूप धारण किया – वराह अवतार। भगवान विष्णु ने अपने विशाल वराह रूप में पृथ्वी को सागर से उठाने का संकल्प किया।

वराह ने आकाश से पृथ्वी पर कूदा और हिरण्याक्ष के साथ युद्ध करने लगा। एक भयंकर युद्ध के बाद, वराह ने हिरण्याक्ष को मार गिराया और धरती को मुक्त कर दिया।

वराह अवतार की कहानी हमें यह सिखाती है कि भगवान हमेशा धरती की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से उत्तरदाता बनते हैं। इसके साथ ही, धरती वासियों को धर्म और न्याय की राह पर चलने के लिए प्रेरित करती है। वराह अवतार ने धरती को अधर्म से मुक्त करने का संदेश दिया और न्याय की जीत की।

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